Maheshwari Heroes of Ayodhya Ram Mandir Andolan | Kothari Brothers | Ram Kothari and Sharad Kothari | Avinash Maheshwari | मंदिर वहीं बने इसलिए तीन (3) Maheshwari युवाओं ने दी थी अपने जान की आहुति | Maheshwari Samaj | Ayodhya News

राम का मंदिर वहीं बने इसलिए 3 माहेश्वरी युवाओं "अविनाश माहेश्वरी, राम कोठारी और शरद कोठारी" ने दी थी अपने जान की आहुति


In the Ayodhya Ram Janmabhoomi temple movement, the Maheshwaris also not only actively participated in the movement launched by Hindu samaj and Ram devotees but even sacrificed their lives. Avinash Maheshwari and Kothari brothers - Ram Kothari and Sharad Kothari sacrificed their lives on 2 November 1990 in the Ayodhya Ram Mandir Andolan to build Ram temple there. Gave his supreme sacrifice for the Lord Shri Rama and protection of Dharma. The sacrifices of these three Maheshwaris, Avinash Maheshwari and Kothari brothers Ram Kothari and Sharad Kothari can never be forgotten in the history of the Ram Mandir movement of Ayodhya. The entire Maheshwari community is proud of him. The Kothari brothers, Ram Kothari & Sharad Kothari have also been honored with Maheshwari Ratna Award, the highest honor of Maheshwari community, started by Maheshwari Akhada, the highest Gurupeeth of Maheshwari community and given by the Maheshacharya.

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अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में हिन्दुओं, रामभक्तों ने जो आंदोलन चलाया उसमें माहेश्वरीयों ने भी ना सिर्फ बढ़चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि अपने जान की आहुतियाँ तक दी। अविनाश माहेश्वरी और कोठारी बंधुओं शरद कोठारी और राम कोठारी ने राम का मंदिर वहीँ बने इसलिए अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में 2 नवम्बर 1990 को दी थी अपने जान की आहुति। प्रभु श्री राम और धर्म रक्षा के लिए दे दिया अपना सर्वोच्च बलिदान। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में इन तीनों माहेश्वरीयों, अविनाश माहेश्वरी और कोठारी बंधुओं के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। समस्त माहेश्वरी समाज को इनपर गर्व है। कोठारी बंधुओं, राम कोठारी और शरद कोठारी को "माहेश्वरी रत्न पुरस्कार" से भी सम्मानित किया गया है, जो माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च सम्मान है, जो माहेश्वरी समाज की सर्वोच्च गुरुपीठ माहेश्वरी अखाड़ा द्वारा शुरू किया गया है और महेशाचार्य द्वारा दिया जाता है।


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सन 1990 के अयोध्या राम मंदिर आंदोलन को लेकर अयोध्या चलो के आवाहन पर जहाँ लाखों रामभक्त अयोध्या पहुंचे थे वही किसी बड़े हंगामें की आशंका को लेकर बड़ी संख्या में पत्रकार भी अयोध्या पहुंचे थे। रामभक्त कारसेवकों पर गोलियां चलाने की घटना के समय अयोध्या के पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी भी मौके पर मौजूद थे, वे इसके प्रत्यक्षदर्शी थे और उन्होंने तमाम ऐसे फोटो लिए थे जो देश के ही नहीं विदेशों के मिडिया के अखबारों की भी सुर्खियां बने। इस गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शी इन्ही पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक, 2 नवम्बर 1990 की सुबह अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के सामने लाल कोठी के संकरी गली में भरे कारसेवकों पर तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर पुलिस ने गोलियां चला दी जिसमें कारसेवा करने आये इन कारसेवकों का नेतृत्व कर रहे कलकत्ता के राम कोठारी को गोली मार दी गई। पुलिस से भाई का शव उठाने की अनुमति लेकर शरद कोठारी ने जैसे ही "जय श्रीराम" का नारा लगाकर अपने भाई राम कोठारी का शव उठाया तो उसे भी पुलिसवालों ने गोली मार दी और मौके पर ही दोनों कोठारी भाइयों की मौत हो गई। कोठारी बंधुओं को मारने के बाद वहां उपस्थित साधु संतो और कारसेवकों पर भी पुलिस ने गोलियां चला दी जिसमें अनेको साधु संत और कारसेवक मारे गए। फिर अयोध्या के अलग अलग स्थानों पर जमा साधु संत और कारसेवकों पर भी पुलिस ने गोलियां चलाई थी।

आगे के घटनाक्रम में फिर गीता जयंती के शुभ दिन (6 दिसम्बर, 1992) को पुनः कारसेवा की तिथि निश्चित की गयी जिसमें आक्रोशित हो उठे कारसेवकों ने वहाँ के तीनों गुम्बद गिरा दिये और इसके बाद वहाँ विधिवत श्री रामलला को भी विराजित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद का जो केस चल रहा है उसमें यही "रामलला विराजमान" भी एक पक्षकार है। (कहा जाता है की ध्वस्त ढांचे की दीवारों से 5 फुट लंबी और 2.25  फुट चौड़ी एक पत्थर की एक शिला मिली। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पत्थर की शिला पर बारहवीं सदी में संस्कृत में लिखीं 20 पंक्तियां उत्कीर्ण थीं जिसमें पहली पंक्ति की शुरुआत “ओम नम: शिवाय” से होती है। 15वीं, 17वीं और 19वीं पंक्तियां स्पष्ट तौर पर बताती हैं कि यह मंदिर “दशानन (रावण) के संहारक विष्णु हरि” को समर्पित है। मलबे से करीब ढाई सौ हिन्दू कलाकृतियां भी पाई गईं जो फिलहाल न्यायालय के नियंत्रण में हैं)।

6 दिसम्बर 1992 को भगवान श्रीराम के जन्मभूमि पर रामलला के विराजित होने से राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के लिए बलिदान देनेवाले कारसेवकों का शौर्य सफल हुवा। इसलिए प्रतिवर्ष 6 दिसम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके बजरंग दल आदि समवैचार‍िक संगठन शौर्य द‍िवस के रूप में मनाते है, सेल‍िब्रेट करते है। शौर्य दिवस के कार्यक्रम में मुख्य रूपसे सन 1990 के अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में बलिदान देनेवाले प्रथम बलिदानी कोठारी बंधुओं की तस्वीर को रखकर प्रतीकात्मक रूपसे राम मंदिर के लिए अपनी जान का बलिदान देनेवाले तमाम बलिदानी कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

2 नवम्बर 1990 को अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन में शहीद हुए रामभक्त कारसेवकों की याद में, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए दिगंबर अखाड़ा प्रतिवर्ष के 2 नवम्बर को कोठारी बंधुओं की तस्वीरों के साथ "शहीद दिवस" के रूपमें मनाता है।

माहेश्वरी समाज की सर्वोच्च धार्मिक-आध्यात्मिक-सामाजिक प्रबंधन संस्था "माहेश्वरी अखाड़ा (दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा) ने रामभक्त अमर बलिदानी कोठारी बंधुओं को माहेश्वरी समाज के सर्वोच्च सम्मान "माहेश्वरी रत्न" से नवाजा है। 2 नवम्बर 1990 को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए हुए आंदोलन में अपनी जान का बलिदान देनेवाले कोठारी बंधुओं को, उनके बलिदान को हिन्दू समाज, तमाम रामभक्त और माहेश्वरी लोग कभी नहीं भूल सकते।

 प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक 'माहेश्वरी  उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास' से साभार



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2 comments:

  1. Ram Mandir nirman main diye Gaye sabhi Maheshwaribandhuo ka sadhuwad avam jin bandhuo ne apna balidan diya un sabhi ka samman Shri Ram Janm bhumi par smark/ sila lekh lagana hi sachi sridhanjali hogi.

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  2. Isi kram mein Ajmer ka all Avinash Maheshwari bhai ha uske samman mein Ajmer mein ek School aaj bhi sanchalit ha

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